Saturday 23 July 2011

अधूरे सपनो की उड़ान



अधूरे सपनो की उड़ान

अपने सपनो को पंख देना चाहता हूँ
उन्हें उनका अंजाम देना चाहता हूँ
दुनिया के हर रंग को खुद के सपनो में भर 
इस जीवन को नया आयाम देना चाहता हूँ
लेकिन सीमाएं कुछ ऐसी है,
उत्तर कुछ  ऐसे है कि 
जो में जान कर भी स्वयं को बहला लेता हूँ
उन अभावों का खुद से ही उत्तर चाहता हूँ l
इस असीम नभ को अपने दामन में समेटकर
उन अनगिनत तारों को करीब से छुना चाहता हूँ
पर अपनी सीमाओं को जान 
बस मन में ही इस बात को
उन अनगिनत इच्छाओं कि तरह 
जो कभी पूरी नहीं हुई
कुचल देना चाहता हूँ l
सूरज कि तरह ,
उसके तेज कि तरह,
उस अद्वितीय प्रकाश कि तरह
जिस से ऊर्जा पाकर जीवन पाते है असंख्य सजीव,
मैं भी इस धरा को रोशन करना चाहता हूँ,
लेकिन न साधन न सहयोग है किसी का मेरे पास,
इसलिए अपनी कामनाओ की किरणों को
मुट्ठी में बंद कर देता हूँ l
शहद कि मिठास कि तरह
पानी की शीतलता की तरह,
हवा की ताजगी की तरह 
मैं  भी हर एक की जिन्दगी में अपना 
एहसास भर  देना चाहता हूँ,
बस रुक जाता हूँ  यह देख,
कि अभावों से भरा है दामन मेरा 
अपनी राह के पत्थर को नहीं हटा पाता हूँ
लेकिन फिर भी 
अपने सपनो को पंख देना चाहता हूँ,
उन्हें उनका अंजाम देना चाहता हूँ l

No comments:

Post a Comment